Sunday, January 22, 2012

अब भी...!



अब भी सेहमेसे है हम तेरी यादों में
अब भी सेहमेसे है हम तेरी बातों में...!

क्या वोह तेरी नज़ाकत थी
प्यार भरी इबादत थी
अब भी सेहमेसे है हम उन तेरे ख्वाबों में....!

ये जो तेरा एहसास हैं 
लगता है की तू मेरे पास है
अब भी सेहमेसे है हम तेरी फिजाओं में....!

तू जहाँ जहाँ चली
वहाँ वहाँ कलिया खिली
   अब भी डुबे से हम तेरी उस खुशबू मैं....!  

अब भी दिल में एक खयाल आता है
जेहेन में एक सवाल सा छाता है
kक्यूँ गुमसुम सा हैं ये सारा जमाना तुम सें..?

                                                                          - कवीश्वर:अभिजित